प्रदेश अध्यक्ष मनमानी ढंग से चला रहे वक्फ बोर्ड।
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प्रतिकात्मक फोटो |
घातक रिपोर्टर, राजू प्रजापति, गुना।
गुना। जिला वक्फ बोर्ड का अभी गठन बाकी है, जिस हेतु जिला भाजपा अध्यक्ष ने तीन माह पूर्व पत्र लिखकर एक नाम प्रस्तावित कर प्रदेश अध्यक्ष सनब्बर पटेल को भेज दिया है। परंतु आज दिनांक तक गुना जिला वक्फ बोर्ड का गठन बाकी है। जिस व्यक्ति का नाम जिला अध्यक्ष द्वारा भेजा गया है, उस व्यक्ति द्वारा फॉर्म भरने की पुरी आवश्यक दस्तावेजों के साथ पूर्ति कर दी गई है और इस फार्म के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात कर फॉर्म को प्रदेश वक्फ बोर्ड कार्यालय में जमा कर दिया गया है। यहां पर विशेष तथ्य यह है की वक्फ बोर्ड के अंतर्गत कई मस्जिद, कमेटिया और दरगाह कमेटी है। जिनके गठन बोर्ड अध्यक्ष का नाम आने के बाद गठन किया जाता है। परंतु गुना जिले में मक्सूदनगढ़ मस्जिद, गुना जामा मस्जिद सहित दरगाह कमेटियों के गठन कर दिए गए हैं। निश्चित तौर पर एक चिंतनीय विषय है इन घटनाओं से समाज में असंतोष की स्थिति बनी हुई है और कई तरीके की अफवाहों का बाजार भी गर्म है। इसमें यह तक कहा जा रहा है की अधीनस्थ कमेटियों की घोषणा में पैसे का लेन देन भी हुआ है। क्योंकि सर्वप्रथम जिले की वक्फ बोर्ड का गठन किया जाता है और तत्पश्चात अधीनस्थ कमेटियों का गठन किया जाता है। जिससे वह तालमेल कर समाज की इन संस्थाओं को सुचारू रूप से चला सके और समाज का विकास उत्तम ढंग से कर सकें। यहां पर एक विचित्र तथ्य सामने यह हैं की प्रदेश अध्यक्ष द्वारा मनमाने ढंग से अधीनस्थ कमेटियों की नियुक्तियां कर दी गई है। प्रदेश अध्यक्ष को कई जिले के पदाधिकारियों द्वारा बातचीत करने के लिए फोन लगाया गया तो प्रदेश अध्यक्ष ने यह कहा कि जिले की आदेशानुसार एवं अनुशंसा अनुसार ही वह कार्य कर रहे हैं। यह कोई संतुष्टि नहीं है, क्योंकि आज तक भी जिला बोर्ड की नियुक्ति न करना उनकी कार्यशैली पर उंगली उठती है। तथा उनके द्वारा अधीनस्थ कमेटी की घोषणा भी संदेह के दायरे में आती है। इस स्थिति में समाज में असंतोष की लहर बनी हुई है और समाज इस बात पर विचार कर रहा है कि संवैधानिक गठन को लेकर प्रदेश अध्यक्ष इन कमेटियों के गठन तो कर रहे हैं, परंतु जिला वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के प्रस्तावित नामों का गठन नहीं कर रहे हैं, यह सभी चीज विवाद पैदा कर रही है। जिसका असर निश्चित तौर पर समाज पर पड़ रहा है और इसका असर आने वाले चुनाव पर भी पढ़ सकता है। समय चलते इन परिस्थितियों को रोका नहीं गया तो निश्चित तौर पर समाज के असंतोष का कारण भी पार्टी को उठाना पड़ सकता है। पूर्व में भी प्रदेश अध्यक्ष की कार्य शैली पर मध्य प्रदेश के कई जिलों में अखबरबाजी हो चुकी है और एक घातक स्वरूप का निर्माण हो सकता है।
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