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Friday, December 15, 2023

प्रधानपति थे जब किया नाबालिग से रेप, अब भाजपा विधायक को मिली 25 साल की सजा, 10 लाख का जुर्माना

प्रधानपति थे जब किया नाबालिग से रेप, अब भाजपा विधायक को मिली 25 साल की सजा, 10 लाख का जुर्माना

प्रधानपति थे जब किया नाबालिग से रेप, अब भाजपा विधायक को मिली 25 साल की सजा, 10 लाख का जुर्माना

उत्तर प्रदेश। 2014 में नाबालिग से रेप करने के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। नाबालिग से रेप के दोषी दुद्धी से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड़ को कोर्ट ने 25 साल की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। विधायक से 10 लाख का जुर्माना लेकर पीड़िता को पुनर्वास के लिए दिए जाने का आदेश कोर्ट ने दिया है। विधायक को सजा का ऐलान होते ही उनकी सदस्यता भी चली गई है। बतादें कि 12 दिसंबर को सोनभद्र की एमपी/एमएलए कोर्ट ने विधायक को नाबालिग से रेप मामले में दोषी ठहराया था। कोर्ट में विधायक पर दोष सिद्ध होने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था।


नौ साल पूर्व म्योरपुर थाने में रामदुलार गोंड़ के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था, उस समय वह प्रधानपति थे। अभियोजन के अनुसार चार नवंबर 2014 में रामदुलार गोंड़ ने एक गांव की किशोरी के साथ दुष्कर्म किया। किशोरी के परिजनों को जब इसकी जानकारी हुई तो पीड़िता के भाई ने म्योरपुर कोतवाली में तहरीर दे दी। पुलिस ने पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर अदालत में पत्रावली प्रस्तुत कर दी। लंबी सुनवाई के बाद बीते शुक्रवार को अभियोजन पक्ष से अधिवक्ता सत्यप्रकाश तिवारी व विकाश शाक्य ने दुद्धी विधायक रामदुलार गोंड़ के खिलाफ साक्ष्य प्रस्तुत किए। विधायक की तरफ से अधिवक्ता रामवृक्ष तिवारी ने दलीलें पेश कीं। कोर्ट ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद फैसले की तिथि 12 दिसंबर तय की थी। मंगलवार को लंच बाद अपर सत्र न्यायाधीश एहसानुल्लाह खान ने मामले की सुनवाई करते हुए विधायक राम दुलार गोंड़ को दोषी करार दिया था।

दुद्धी से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड की सजा का ऐलान होने के बाद अब उनकी सदस्यता जाना तय माना जा रहा है। कानून के जानकार बताते हैं कि कोर्ट अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल से ज्यादा सजा सुनाती है तो ऐसे में खुद ब खुद उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है। जनप्रतिनिधि की सदस्यता रद्द होने के बाद विधानसभा सचिवालय एक लेटर जारी करके उस सीट को रिक्त घोषित कर देता है। सीट रिक्त होने की जानकारी सचिवालय चुनाव आयोग को देगा। इसके बाद चुनाव आयोग उस सीट पर उपचुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करेगा।

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