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Wednesday, December 13, 2023

MP के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव उज्जैन में नहीं गुजार सकेंगे रात, क्या कहते है महाकाल नगरी के नियम, जाने

MP के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव उज्जैन में नहीं गुजार सकेंगे रात, क्या कहते है महाकाल नगरी के नियम, जाने

MP के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव उज्जैन में नहीं गुजार सकेंगे रात, क्या कहते है महाकाल नगरी के नियम, जाने

भोपाल। मध्य प्रदेश के नए मुखिया का नाम लंबी कश्मकश के बाद तय कर दिया गया है। शिवराज सिंह चौहान की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव को विधायक दल ने अपना नेता चुनते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद पर सुशोभित कर दिया है। निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी लोगों में शामिल रहे डॉ. मोहन यादव अब प्रदेश के नए मुखिया तो हो गए हैं। लेकिन वह उज्जैन में रात नहीं गुजार पाएंगे।

क्या है इसकी वजह…?
दरअसल, इसके पीछे एक प्राचीन मान्यता को माना जा रहा है। उज्जैन को महाकाल की नगरी माना जाता है। उज्जैन को लेकर मान्यता यह है कि इस शहर के मालिक महाकाल हैं। इसी वजह से कोई सीएम या वीवीआईपी उज्जैन में रात को नहीं रुकता है। लोग कहते हैं कि जब भी कोई सीएम या राजा उज्जैन में रात्रि विश्राम करता है तो उसके साथ किसी अनहोनी की आशंका रहती है। ऐसे में सवाल यह कि क्या नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जो उज्जैन के रहने वाले हैं और दक्षिण उज्जैन से विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए हैं, क्या वह अपने घर पर रात्रि विश्राम कर पाएंगे ? इस सवाल पर महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी कहते हैं कि सीएम मोहन यादव बेटा बनकर शहर में रह सकते हैं, सीएम बनकर नहीं। महेश पुजारी कहते है की सिंधिया राज घराने के लोग भी शहर से 15 किलोमीटर दूर निवास करते थे। महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा कि महाकाल की नगरी उज्जैन में महाकाल को ही राजा माना जाता है। उज्जैन में परंपरा रही है कि यदि कोई दूसरा राजा यहां रात नहीं गुजर सकता है। ऐसा करने वाले के साथ किसी अनहोनी की आशंका रहती है। इस मान्यता का पालन आज तक किया जाता है, उज्जैन में महाकाल को ही गॉड ऑफ ऑनर दिया जाता है।


ऐसी भी कहानी है कि प्राचीन समय से मान्यता है कि उज्जैन में जो भी शासक बना वह एक रात का राजा होता था अगले दिन उसकी मृत्यु हो जाती थी। इस मान्यता की काट के लिए राजा विक्रमादित्य ने एक परंपरा शुरू की थी कि उज्जैन में जो भी राजा होगा वह महाकाल के अधीनस्थ काम करेगा, वह महाकाल का प्रतिनिधि मात्र होगा। यह भी कहा जाता है कि जिसने भी उज्जैन में रात को विश्राम किया उसकी कुर्सी चली गई। लोग बताते हैं कि देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई महाकाल दर्शन के लिए आये थे। उन्होंने एक रात उज्जैन में विश्राम किया था। इसके अगले ही दिन सरकार गिर गई थी। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी उज्जैन में ठहरे थे। उनको 20 दिन बाद ही पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इंदिरा गांधी भी महाकाल का दर्शन करने आई थीं। वह बाहर से ही दर्शन कर के चली गई थीं। खुद पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य मंत्री कभी रात उज्जैन में नहीं रुके हैं।

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