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Tuesday, November 16, 2021

रायसेन/सिलवानी, एकता, अखण्डता और संसक्राति के कारण हमारा भारत देश-दुनिया में सिरमौर बना हुआ है - मुनि समता सागर।

यह भी पढ़े :- https://youtu.be/qCd5IeXVrR0 आईबीएन और तहलका यूट्यूबर दलाल अजय आहूजा का यह खेल कोई नया नहीं, यह सब ब्लैकमेल करने का इसका पुराना तरीका। https://www.ghatakreporter.com/2020/12/blog-post_842.html इस दलाल की जब हमने पोल खोलना प्रारंभ की तो इसने हमारी हत्या की साजिश रची तो एक लेख इसके लिये हमने लिखा नीचे लिंक को खोलकर अवश्य पढ़ें https://www.ghatakreporter.com/2020/12/blog-post_529.html Thank you Chief Editor GHATAK REPORTER BHOPAL

एकता, अखण्डता और संसक्राति के कारण हमारा भारत देश-दुनिया में सिरमौर बना हुआ है - मुनि समता सागर।

  • सिद्ध चक्र महामंडल विधान व विश्व शांति महायज्ञ का त्रिमूर्ति चौबीसी जिनालय में किया जा रहा आयोजन।

रायसेन/सिलवानी, एकता, अखण्डता और संसक्राति के कारण हमारा भारत देश-दुनिया में सिरमौर बना हुआ है - मुनि समता सागर।

घातक रिपोर्टर, जसवंत साहू, रायसेन/सिलवानी।
सिलवानी। 84 लाख योनियो में भटकने के बाद व्यक्ति को प्राप्त हुए जीवन मे अपना कल्याण करना है तो उसे देव, गुरु, शास्त्र की शरण अंगीकार करना होगी। देव, गुरु व शास्त्र की शरण में जाए बगैर जीवन का कल्याण होना संभव नही है। आत्मा विकल्प मुक्त बनाना होगी। यह उद्गार वात्सल्य मुनि समता सागर महाराज ने त्रिमूर्ति चौबीसी जिनालय में मौजूद समाजजनो को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। यहां पर अष्टांहिका महापर्व के अवसर पर सिद्ध चक्र महामंडल विधान व विष्व शांति महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। बाल ब्रम्हचारी, प्रतिष्ठाचार्य धीरज भैया के द्वारा विधान की समस्त क्रियाएं मत्रोपचार के साथ संपन्न कराई जा रही है। प्रातः 6 बजे से अनुष्ठान प्रारभं किया जा रहा है। विधान में शामिल पुरुष पात्र सफेद वस्त्र व महिलाएं केशरियां साड़ी पहनकर अनुष्ठान को पूर्ण कर रहे हैं। मुनि समता सागर महाराज ने बताया कि नाव में बैठने से नदी पार नही की जा सकती है। बल्कि पाव से उतरने पर ही नदी को पार किया जा सकता है। आत्मा का कल्याण करने के लिए प्रति दिन जिनवाणी को पढ़ना व उसका चिंतन करना होगा। मौह की नींद में सोए हुए व्यक्ति को सम्यक्त से जोड़ने, जगाने में जिनवाणी ही सभी की कल्याणकारी है। जिनवाणी का शुद्ध मन से पठन पाठन किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि एकता, अखण्डता व सस्ंकृति के कारण हमारा भारत देश दुनिया में सिरमौर बना हुआ है। आचार्य विद्यासागर महाराज कहते है कि देश को इंडिया नही भारत बोलो। व्यक्ति का आचरण जीवन को आदर्ष बनाता हैं। मुनिश्री ने कहा कि भगवान के समवशरण में शामिल होने से मन में विकल्पता के भाव नही आना चाहिए। निर्विकल्प होकर ही धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होना आवष्यक है। एैसा करने से मन में स्थिरता आती है। ग्रंथों के अध्ययन से सम्यक दर्षन, सम्यक ज्ञान व सम्यक चरित्र का ज्ञान प्राप्त होता है। यहां पर ऐलक निष्चय सागर महाराज ने भी धर्मसभा को सबोधित किया तथा कहा कि साधु-संतो, ऋषि-मुनियो का सानिध्य जितना अधिक मिल सके ले लो। जब भी महापुरुषो की वाणी सुनने व सानिध्य मिले ऐसे अवसर को कभी भी जाया नही करना चाहिए। पुण्य के प्रताप से ही भगवान की वाणी सुनने व मुनियो का सानिध्य मिलता है। उन्होने बताया कि भोजन कभी भी आत्मा को तृप्त नही कर सकता है। ज्ञान की खुराक चेतना को तृप्त करती है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए संयम साधना आवष्यक है। उन्होने बताया कि अंतर मुखी सदा सुखी रहता है जबकि बाह्य मुखी हमेश दुखी रहता हैं। व्यक्ति को सोच मे सदा सकारात्मकता रखनी चाहिए। दुश्मन से भी कभी-कभी ज्ञान की बात मिल जाती र्हैं। उस बात का अनादरनही करना चाहिए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हो रहे है।

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