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Sunday, November 14, 2021

रायसेन/सिलवानी, सभी केे सहयोग से ही सफल कार्यक्रम की इबादत लिखी जाती है - मुनि समता सागर महाराज।

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सभी केे सहयोग से ही सफल कार्यक्रम की इबादत लिखी जाती है - मुनि समता सागर महाराज।

  • महापुरुषो का सानिध्य व उनकी वाणी का लाभ पुण्य के प्रताप से ही मिलता है - मुनि उपषांत सागर महाराज।
  • त्रिमिर्ति चौबीसी जिनालय में मुनिसंघ ने दिए धर्मोपदेश, किया जा रहा है सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन।

रायसेन/सिलवानी, सभी केे सहयोग से ही सफल कार्यक्रम की इबादत लिखी जाती है - मुनि समता सागर महाराज।

घातक रिपोर्टर, जसवंत साहू, रायसेन/सिलवानी।
सिलवानी। त्रिमूर्ति चौबीसी जिनालय में सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है। विधान के चतुर्थ दिवस रविवार को सुबह के समय धर्मसभा में मुनि समता सागर महाराज ने कहा कि किसी भी कार्यक्रम को सांनद संपन्न किए जाने में समाज के प्रत्येक वर्ग का सहयोग आवष्यक होता हैं। सभी के सहयोग के बगैर कार्यक्रम के सफलता की ईबादत नही लिखी जा सकती हैं। कोई कम तो कोई ज्यादा समय व्यवस्थाओं में देता है। दिए गए सहयोग का सम्मान किया जाना चाहिए। यहां पर मुनि समता सागर महाराज के द्वारा शंका समाधान भी किया गया। तथा समाजजनो से सवाल पूंछकर उनकी धार्मिक क्षमता का आंकलन भी किया गया। उन्होने बताया कि गलती होना स्वाभविक हैं, गलती होने पर तत्काल ही की गई गलती का प्रायश्चित कर लेेना चाहिए ताकि की गई गलती को सुधारा जा सके। प्रतिकूल परिस्थिति में कार्य करने वाला श्रैष्ठ होता है, वह समता का धारक होता है। अनुकूल परिस्थिति में तो कोई भी कार्य कर लेता है लेकिन असली परीक्षा प्रतिकूल परिस्थिति में सफल कार्य करने वाले की होती है। जिन मंदिर व धर्म स्थल पर जाकर भक्त बने साथ ही व्यक्ति को भक्ति व ज्ञान भी प्राप्त करना चाहिए। रविवार को बरेली के रास्ते विहार करते हुए नगर मे आए मुनि उपषांत सागर महाराज ने भी धर्मसभा को संबोधित किया। उन्होने बताया कि महापुरुषो का सानिध्य व उनकी वाणी का रसास्वादन पुण्य के प्रताप से ही संभव हो पाता हैं। गुरु की वाणी को सुनने के बाद सुनी गई वाणी को आचरण में भी उतारना होगा। तभी वाणी सुनना सार्थक हो सकता है। उन्होने बताया कि संयम, तप, क्षमा, ज्ञान व ईमान जिसके पास होता है वही भगवान होता है। मुनि श्री ने कहा कि चिंता नही चिंतन करना चाहिए। गुरु, देव, शास्त्र की पहचान मुनि ही कराते हैं। धर्म का ज्ञान, धर्म का प्रकाश महापुरुषो से ही मिलता है। संतो का आशीर्वाद लेने के साथ ही भजन व भोजन भी करना आवष्यक होता है।

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