जांच हुई तो सोम डिस्टलरी का लाइसेंस निरस्त, अधिकारियों में हुई बहस बाजी, औद्योगिक विकास निगम का करोड़ों रुपए बकाया। - Ghatak Reporter

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Sunday, June 6, 2021

जांच हुई तो सोम डिस्टलरी का लाइसेंस निरस्त, अधिकारियों में हुई बहस बाजी, औद्योगिक विकास निगम का करोड़ों रुपए बकाया।

जांच हुई तो सोम डिस्टलरी का लाइसेंस निरस्त, अधिकारियों में हुई बहस बाजी, औद्योगिक विकास निगम का करोड़ों रुपए बकाया।

जांच हुई तो सोम डिस्टलरी का लाइसेंस निरस्त, अधिकारियों में हुई बहस बाजी, औद्योगिक विकास निगम का करोड़ों रुपए बकाया।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन।
रायसेन जिले कि सेहतगंज स्थित सोम डिस्टलरीज का लाइसेंस आबकारी आयुक्त गवालियर ने निरस्त कर दिया है। सूत्रों की माने तो आबकारी आयुक्त मोती महल ग्वालियर द्वारा जारी आदेश के मुताबिक रायसेन के सेहतगंज स्थित सोम डिस्टलरीज के प्लांट का लाइसेंस निरस्त किया गया है। मैसर्स सोम डिस्टलरीज पर ऊर्जा तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के 21,12,500 रुपए और मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के 2,31,697 लाख रुपए बकाया हैं, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। जिला आबकारी विभाग द्वारा सोम डिस्टलरीज की सेहतगंज फैक्ट्री में की जांच के दौरान लिए गए 8 सैंपल में 7 सैंपल मिस ब्रांडेड पाए गए थे। यह सैंपल 9 मार्च 2020 को लिए गए थे। सोम डिस्टलरीज पर बिना अनुमति के स्प्रिंट टैंक का निर्माण करना और कई प्रकार के टैक्स जमा नहीं करने के आरोप हैं। बीते वर्ष कंपनी के दोनों मालिक जेल भी जा चुके हैं। कारण कोरोना की पहली लहर में सैनिटाइजर बनाने के टैक्स चोरी के मामले को लेकर यह कार्रवाई की गई थी।


सोम डिस्टलरीज प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से सेहतगंज स्थित शराब फैक्ट्री में लगाए गए शराब के अवैध टैंक एक बार फिर चर्चा में हैं। इनको लेकर मध्य प्रदेश आबकारी के तीन उच्च स्तरीय अधिकारी की तरफ से की गई जांच रिपोर्ट 7 जून तक जबलपुर हाई कोर्ट में पेश करनी है। जांच पूरी होकर रिपोर्ट तैयार है लेकिन शासन स्तर से इस रिपोर्ट को हाईकोर्ट में सौंपा नहीं जा रहा है। आबकारी आयुक्त राजीव दुबे ने सोम डिस्टलरीज प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से सेहतगंज फैक्ट्री के लिए लगाए गए लाइसेंस रिन्यूबल आवेदन को निरस्त कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में शासन के निर्देश पर ही जांच कमेटी गठित की गई। 8 बिंदु और 5 निष्कर्षों की 5 पेज की रिपोर्ट सोम के खिलाफ है। इस रिपोर्ट को हाई कोर्ट में जमा करने को लेकर एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने शासन स्तर के अधिकारी से पूछा कि इस मामले की रिपोर्ट कोर्ट में पेश कब की जाएगी। जवाब मिला कि आपने रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी, जमा करना हमारा काम है।

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