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Sunday, September 12, 2021

रायसेन/सिलवानी, पर्युषण पर्व जैन समाज का ही नही समूची मानवता की पूजा का पर्व है - मुनि समता सागर महाराज।

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पर्युषण पर्व जैन समाज का ही नही समूची मानवता की पूजा का पर्व है - मुनि समता सागर महाराज।

  • दिगंबर जैन त्रिमूर्ति चौबीसी जिनालय में मुनिश्री ने समाज जनो को किया संबोधित।

रायसेन/सिलवानी, पर्युषण पर्व जैन समाज का ही नही समूची मानवता की पूजा का पर्व है - मुनि समता सागर महाराज।

घातक रिपोर्टर, जसवंत साहू, रायसेन/सिलवानी।
सिलवानी। महा सम्राट कहलाने वाला सिकंदर अपनी वीरता के दम पर समूची दूनिया को जीत कर वीर तो बन गया लेकिन महावीर नही बन सका। जबकि वीर नही महावीर बनने की आवष्यकता है। व्यक्ति को चाहिए कि वह छल-कपट के साथ अपना जीवन ना जिए। बल्कि सात्विकता के साथ जीवन निर्वाहण करे। यह उद्गार मुनि समता सागर महाराज ने व्यकत किए। वह दिगंबर जैन त्रिमूर्ति चौबीसी जिनालय में रविवार को सुबह के समय समाज जनो को अपनी वाणी का रसा स्वादन करा रहे थे। मुनि समता सागर महराज ने बताया कि मलेरिया, बुखार या किसी भी तरह की बीमारी धर्म व समाज देख कर नही आती है। कोई भी बीमारी का शिकार हो जाता हैं। औषधि भी सभी के काम आती हैं। इसी तरह पर्युषण पर्व मात्र जैन समाज के नही है बल्कि संपूर्ण मानवता की पूजा का पर्व है। जैन परंपरा का शास्वत पर्व पर्युषण महापर्व एैसा पर्व है जिसका संबंध किसी तीर्थकर या कियी घटना विशेष से नही है। यह विषुद्व आध्यात्मिक पर्व है। जैन ही नही तमाम प्राणी जगत के लिए है। उन्होने बताया कि व्यक्ति स्वयं के दुख से दुखी नही होता है बल्कि सामने वालेे के सुख से हमेशा दुखी रहता है। सुख व दुख पुण्य पाप के प्रभाव से आते है। गरीब दास नाम के व्यक्ति को धन संपन्न देखा जाता है जबकि अमीर चंद्र नाम का व्यक्ति आर्थिक रुप से परेशान देखा जा सकता है। यह सब कर्माे का खेल है। पाप व पुण्य की महिमा है। मुनि समता सागर महाराज ने बताया कि कभी भी किसी का बुरा नही करना चाहिए। यहां तक कि बुरा करने का भाव भी मन में नही लाना चाहिए। जबकि सभी के कल्याण की भावना भानी चाहिए। वर्तमान समय में कन्याओं की कमी देखी जा रही है। कन्या का आना शुभ माना जाना चाहिए। कन्या भार नही आभार है। कन्या दो परिवारो के बीच की कड़ी है। धर्मसभा में बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद रहे।

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