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Thursday, September 16, 2021
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देवता को खुश करने भोपों ने ढोल-थाली पर नाचते हुए खुद को लोहे की बेड़ियों से पीटा; खीर, चूरमे के साथ अफीम का लगते है भोग, उनका मानना - इससे दूर रहती हैं बीमारियां; देखे विडियो।
देवता को खुश करने भोपों ने ढोल-थाली पर नाचते हुए खुद को लोहे की बेड़ियों से पीटा; खीर, चूरमे के साथ अफीम का लगते है भोग, उनका मानना - इससे दूर रहती हैं बीमारियां; देखे विडियो।
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आईबीएन और तहलका यूट्यूबर दलाल अजय आहूजा का यह खेल कोई नया नहीं, यह सब ब्लैकमेल करने का इसका पुराना तरीका।
https://www.ghatakreporter.com/2020/12/blog-post_842.html
इस दलाल की जब हमने पोल खोलना प्रारंभ की तो इसने हमारी हत्या की साजिश रची तो एक लेख इसके लिये हमने लिखा नीचे लिंक को खोलकर अवश्य पढ़ें
https://www.ghatakreporter.com/2020/12/blog-post_529.html
Thank you
Chief Editor GHATAK REPORTER
BHOPAL
राजस्थान। जोधपुर के लूणी विधानसभा क्षेत्र में सतलाना ग्राम पंचायत में बुधवार को नवमी पर मेला भरा। यहां भोपों (पुजारी) ने ढोल-थाली पर नाचते हुए खुद को जंजीरों से पीटा। मान्यता है कि ऐसा करने से लोकदेवता गोगाजी प्रसन्न होते हैं। हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष नवमी को मेला भरता है। सतलाना ग्राम पंचायत में 200 साल पुराने गोगा मंदिर में भोपे अर्धनग्न होकर ढोल की ताल पर नाचते हुए जोर-जोर से चिल्लाते हुए अपने शरीर पर लोहे की बेड़ियों से मारते नजर आए। मुख्य भोपा मंदिर की गद्दी पर बैठकर गेहूं के दानों को इन भोपों पर बरसाता रहा। इसके बाद मैदान में खड़े भोपों ने नाचना शुरू कर दिया। यह भोपे लोहे की बेड़ियां अपने शरीर पर मारना आस्था बताते हैं। इनका कहना है कि इससे शरीर में कोई दर्द हो या बीमारी दूर हो जाती है।
लूणी स्थित गोगाजी मंदिर में नवमी पर मेला का सा माहौल रहा। मंदिर में भक्तों का जमावड़ा नजर आया। बच्चों से लेकर बूढों तक सभी मंदिर में भोपा नृत्य का आनंद ले रहे थे। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि लोकदेवता को खुश करने के लिए मेला भरता है और भोपे पूजा करते हैं। हालांकि, मंदिर में जुटे लोगों की भीड़ में किसी के चेहरे पर मास्क लगा नजर नहीं आया। 9 दिन गुप्त नवरात्रि के रूप में गोगाजी के भोपे पूजा पाठ करते हैं। साथ ही 9 दिन व्रत रखकर गोगाजी को प्रसन्न करने के लिए भाद्रपद शुक्ल नवमी को खीर के साथ देसी घी का चूरमा, अफीम घोटकर गोगा जी को भोग लगाया जाता है।
गोगाजी का जन्म भाद्रपद मास की नवमी तिथि को चूरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था। गोगाजी के पिता का नाम जेवर व माता का नाम बाछल था। वीर गोगाजी महमूद गजनवी के समकालीन थे। राजस्थान के 5 पीरों में गोगाजी का महत्वपूर्ण स्थान है। गोगाजी को जाहरपीर (जिंदा पीर) के नाम से भी पूजा जाता है। गोगाजी को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता है। प्रदेश का किसान बरसात के बाद हल जोतने से पहले गोगाजी के नाम की राखी बांधते हैं। लोगों का मानना है कि सांप काटने पर भी गोगाजी के आह्वान से ठीक हो जाते हैं।
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