रायसेन/सिलवानी, धन-बल का दूरुपयाग किए जाने से प्रतिशोध का होता है जन्म, जबकि सदूपयोग किए जाने से समर्पण का होता है जन्म - जगतगुरु स्वामी राम स्वरुपाचार्य। - Ghatak Reporter

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Wednesday, December 22, 2021

रायसेन/सिलवानी, धन-बल का दूरुपयाग किए जाने से प्रतिशोध का होता है जन्म, जबकि सदूपयोग किए जाने से समर्पण का होता है जन्म - जगतगुरु स्वामी राम स्वरुपाचार्य।

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धन-बल का दूरुपयाग किए जाने से प्रतिशोध का होता है जन्म, जबकि सदूपयोग किए जाने से समर्पण का होता है जन्म - जगतगुरु स्वामी राम स्वरुपाचार्य।

  • श्रीराम कथा के समापन दिवस पर हजारो की संख्या में कथा श्रवण करने पहुचें श्रद्वालु।

रायसेन/सिलवानी, धन-बल का दूरुपयाग किए जाने से प्रतिशोध का होता है जन्म, जबकि सदूपयोग किए जाने से समर्पण का होता है जन्म - जगतगुरु स्वामी राम स्वरुपाचार्य।

घातक रिपोर्टर, जसवंत साहू, रायसेन/सिलवानी।
सिलवानी। गंगा, नर्मदा जैसी अनेको पुनीत नदियो का दर्शन मात्र भारत में ही किया जा सकता है। अन्य देश में पुनीत पावन नदियो के दर्शन नही होते है। संवाद हीनता से दूरिया बढ़ती है जबकि संवाद से बात बनती है। हमेशा ही संवाद होते रहना चाहिए। यह ऊदगार जगतगुरु स्वामी राम स्वरुपाचार्य महाराज ने श्रीराम कथा के समापन दिवस बुधवार को कथा स्थल पर हजारो की संख्या में मौजूद श्रद्वालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। समापन कार्यक्रम को ब्रम्हचारी अशोक दास रामायणी अयोध्याधाम ने भी संबोधित किया। उन्होने बताया कि संतो के आशीर्वाद से ही भारत देश सफलता के शिखर पर पहुचं रहा है। दुनिया का प्रत्येक देश भारत को आषा भरी नजरो से ना केवल देख रहा है बल्कि भारत के साथ कदम से कदम मिला कर चलने का प्रयास कर रहा है। भारत प्रत्येक क्षेत्र में अव्वल हैं। दुनिया की कोई शक्ति भारत को आखं दिखाने का साहस नही कर पा रही है। भगवान के नाम की महिमा है। भगवान का सच्चे मन से नाम स्मरण करने से भावो में पवित्रता आने के साथ ही कार्य सार्थक होने लगते है। उन्होने बताया कि सिख, बौद्व, जैन सभी हमारे भाई है। जैन धर्म सनातन धर्म की शाखा है। जैन समाज गौ संरक्षण के लिए कार्य कर रहा है जो कि बधाई का पात्र है। गौ माता का सरंक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है। भगवान बुद्व को हमने भगवान माना है तो बौद्व धर्म हमसे अलग नही हो सकता है। व्यक्ति के सोच में हमेशा सकारात्मकता, उदारता होनी चाहिए, संक्रीणता नही होनी चाहिए। जगतगुरु ने कहा कि प्राप्त हुए धन व बल का दूरुपयोग नही बल्कि सदूपयोग किया जाना चाहिए। धन व बल का दूरुपयोग किए जाने से प्रतिशोध का जन्म होता है। जबकि सदूपयोग किए जाने से समर्पण का जन्म होता है। देश को महान मजबूत वैभवशाली बनाने के लिए समन्वय, संगठन, समरसता की भूमि का निर्माण होना चाहिए। उन्हेने कहा कि में इस्लाम धर्म का विरोधी नही हूं। यदि कोई रहीम, रसखान बन कर आएगा तो उसे गले लगाएगे लेकिन कोई औरंजेब बन कर आएगा तो उसे देश की सीमा के बाहर ही रहना पड़ेगा। समापन दिवस पर कथा श्रवण करने बड़ी संख्या में श्रद्वालु पहुचें।

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