रायसेन, बारना डैम से खुलेआम निकाली जा रही सुखान (छोटी) मछली, अधिकारियों की मिली भगत से चल रही कालाबाजारी। - Ghatak Reporter

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Thursday, December 23, 2021

रायसेन, बारना डैम से खुलेआम निकाली जा रही सुखान (छोटी) मछली, अधिकारियों की मिली भगत से चल रही कालाबाजारी।

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बारना डैम से खुलेआम निकाली जा रही सुखान (छोटी) मछली, अधिकारियों की मिली भगत से चल रही कालाबाजारी।

रायसेन, बारना डैम से खुलेआम निकाली जा रही सुखान (छोटी) मछली, अधिकारियों की मिली भगत से चल रही कालाबाजारी।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन।
रायसेन। किसी भी तालाब या डेम से सुखान (छोटी) मछली निकालना पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके बावजूद भी रायसेन जिले के सबसे बड़े बारना डेम से इसकी कालाबाजारी नहीं रुक रही है। बारना डेम में मत्स्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से सुखान (छोटी) मछली सेंतुरी क्षेत्र से निकाली जा रही है और मत्स्य विभाग आंख बंद करके चल रही इस कालाबाजारी को देख रहा है। यूं तो बरना डैम रायसेन जिले का सबसे बड़ा डैम कहा जाता है और लगभग 4000 हेक्टेयर में फैले इस डैम का मछली निकालने का ठेका कई करोड़ रुपये में जाता है और इस बार भी इस डेम को मुम्बई की हुल्लड़ मुरादावादी फर्म ने लिया है और इस फर्म ने पेटी ठेके पर बारना डेम को बाड़ी तहसील के भाजपा के मंडल अध्य्क्ष पंकज श्रीवास्तव उर्फ डब्बू को दे दिया। इस रसूखदार ठेकेदार द्वारा सुखान (छोटी) मछली सेंतुरी क्षेत्र से निकाली जा रही है। आपको बता दे कि सुखान (छोटी) मछली निकालना सरकार ने सख्ती के साथ पूरी तरह प्रतिबंधित किया है इसके बाद भी मत्स्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से रायसेन जिले के बारना डैम सेंतुरी क्षेत्र में सुखान (छोटी) मछली बेरोक-टोक निकाली जा रही है और इस मछली को निकालने पर पूरी तरह प्रतिबंध है और इसमें डैम का ठेका भी निरस्त हो जाता है। इतनी पाबंदी होने के बावजूद भी जिम्मेदार अधिकारी इस मछली को अपनी आंखों के सामने निकलवा रहे हैं। जबकि इसको प्रतिबंध करने का कारण यह है कि अगर इस मछली को निकाला जाएगा तो मछली की प्रजाति ही खत्म हो जाएगी। इस कारण इसको पूरे भारत में प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन पंकज श्रीवास्तव उर्फ डब्बू अपने रसूख के दम पर खुलेआम मत्स्य विभाग की आंखों के सामने इस सुखान (छोटी) मछली को निकालकर इसकी कालाबाजारी कर रहा है और लाखों-करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा रहा है और सरकार के नियमो की धज्जियां उड़ा रहा है।

रायसेन, बारना डैम से खुलेआम निकाली जा रही सुखान (छोटी) मछली, अधिकारियों की मिली भगत से चल रही कालाबाजारी।

बारना डैम में खुलेआम निकाली जा रही सुखान (छोटी) मछली

पंकज श्रीवास्तव अपने एक अन्य साथी अकील मेवाती के साथ मिलकर इस मछली की कालाबाजारी कर रहा है। जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत मीडिया से की तो मीडिया की टीम बारना डेम के आखरी कोने घने जंगल में पहुंची तो देखा कई कुंटल सुखान (छोटी) मछली पड़ी है। जिसकी सूचना मीडिया द्वारा मत्स्य विभाग के नीचे से लेकर ऊपर के बड़े अधिकारियों तक को दी गई। बावजूद इसके अधिकारियों ने कोई कार्यवाही करना मुनासिब नही समझा। वही दिन दहाड़े इस मछली की कालाबाजारी जारी है। बताया जा रहा है कि इसका बाजार मूल्य बहुत अधिक होता है और यह दवाई बनाने के काम में आती है। इस कारण ठेकेदारों द्वारा सुखान (छोटी) मछली को निकालने के लिए बिहार या बंगाल से पार्टियां बुलाई जाती है जो इस सुखान (छोटी) मछली को रात 8 बजे महाजाल फेंककर सुबह 4 बजे के करीब नवंबर माह से जनवरी माह तक निकालती हैं।

रायसेन, बारना डैम से खुलेआम निकाली जा रही सुखान (छोटी) मछली, अधिकारियों की मिली भगत से चल रही कालाबाजारी।

बारना डैम में बिहार से 12 टीमें इस सुखान (छोटी) मछली को निकाल रही है और एक टीम में करीब 8 सदस्य हैं। तो कहा जा सकता है कि सरकार के प्रतिबंध के बावजूद भी मत्स्य विभाग की मिलीभगत से बड़ी मात्रा में भाजपा के मंडल अध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव उर्फ डब्बू ने पेटी पर ठेका लेते हुए इस सुखान (छोटी) मछली को निकालने की कालाबाजारी कर रहा है और मत्स्य विभाग ही नही मत्स्य महासंघ के अधिकरी भी सुखान (छोटी) मछली की कालाबाजारी में लिप्त है तो इनके खिलाफ कार्रवाई करें कौन। वही जब मत्स्य महासंघ के रीजनल मैनेजर बीके राय से बात की तो उनका कहना कहना है कि हमने अपने स्तर पर जांच कराई है। कहीं भी सुखान (छोटी) मछली नहीं निकाली जा रही है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पर पर्दा डालते हुए जांच कराकर कठोर कार्रवाई करने की बात कर रहे है। अब देखना यह होगा कि बेशकीमती सुखान (छोटी) मछली को निकाला जाएगा या मत्स्य महासंघ इस पर रोक लगाएगा।

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